बढ़े चलो लेखनी प्रतियोगिता -31-Jan-2022
शीर्षक - बढे चलो
मिली है आजादी सुख भी मिलेगा ,
रुको नहीं बढ़े चलो ,
कर्म पथ पर बढ़े चलो...
कहीं दूर आगे सुंदर राह भी है ,
वहां पहुंचने की चाह भी है
ध्वजा लिए बढ़े चलो ...
पूर्वजों ने कुर्बानी दी है ,
उनके बड़े पुण्य प्रताप से ,
हजारों लाखों के त्याग से ,
हमने पाई है स्वतंत्र ,
बडे ही भाग्य से...
इस स्वतंत्रता के लिए,
हर जगह अड़े रहो...
बढे चलो बढ़े चलो...
ध्वजा लिए बढ़े चलो ..
नदी मिले पहाड़ मिले..
शेर मिले सियार मिले ,
रुको नहीं डिगो नहीं ,
बढे चलो बढ़े चलो...
ना किसी का जुल्म सहो ,
ना किसी पर जुल्म करो ,
इंसान की औलाद हो ,
इंसानियत पर खडे रहो..
वक्त बुरा बदल जाएगा ,
अच्छा वक्त जरूर आएगा ,
रुको नहीं बढ़े चलो ,
सत्य की राह को रोशन करो ,
असत्य पर पग ना धरो ,
बढे चलो बढे चलो...✍
ज्योति सिन्हा
मुजफ्फरपुर
बिहार
Sudhanshu pabdey
01-Feb-2022 11:55 AM
Nice
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Swati chourasia
31-Jan-2022 08:55 PM
वाह बहुत खूब 👌
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